लोकसभा चुनाव में हार के बाद से तो वैसे ही लालू प्रसाद की बोलती बंद थी और चुनाव के दौरान कांग्रेस पर फुंफकारने वाले शेर-ए-बिहार उस पार्टी के आगे म्याऊं-म्याऊं करते चल रहे थे। बंगाल की शेरनी ममता बनर्जी ने रेल बजट के दौरान और उसके बाद भी कई दफे संसद से सड़क तक पर यह कहकर कि रेल मंत्रालय में लालू के कार्यकाल पर श्वेत पत्र लाया जायेगा, उनकी जुबान पर मानो दोहरा ताला जड़ दिया था। अब गुरुवार को यह खबर आयी कि बिहार की सत्ताधारी गठबंधन पार्टी के प्रमुख घटक जनता दल (यू) ने भी लालू को चौतरफा घेरने की कवायद तेज कर दी है। पार्टी सांसद व बिहार जद (यू) के अध्यक्ष राजीव रंजन सिंह ललन ने रेलमंत्री ममता बनर्जी से मिलकर यह आरोप मजबूत की कि लालू के कार्यकाल में न सिर्फ भाई-भतीजावाद चरम पर था, बल्कि आर्थिक लाभ के लिए रेल मंत्रालय का दुरुपयोग किया गया। दरअसल, रेल बजट पर चर्चा के दौरान ममता ने यह भी अपील की थी कि भ्रष्टाचार के मामले उनके पास लाए जाएं। ललन ने इसी के तहत गर्म लोहे पर पहली चोट की है। ललन के मुताबिक सिर्फ गोरखपुर में गलत तरीके से 216 लोगों को नौकरी दी गयी। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि हाजीपुर, वाराणसी, मुंबई समेत अन्य स्थानों पर भी उन्हें नौकरी दी गई, जिनसे लालू प्रसाद या उनके संबंधियों ने लाभ उठाया। बिहार जद (यू) अध्यक्ष ने कथित तौर पर गलत ढंग से नौकरी पाने वालों की सूची भी ममता को सौंपी है। ललन के आरोपों को सही माना जाय तो लालू प्रसाद और उनके सहयोगी व पूर्व मंत्री प्रेमचंद गुप्ता ने जमीन अर्जित करने के लिए भी रेल मंत्रालय की संपत्ति का इस्तेमाल किया था। पटना के सुजाता होटल्स के मालिक से दो एकड़ जमीन उस कंपनी के नाम लिखायी गयी, जो प्रेमचंद गुप्ता की पत्नी की है। बदले में सुजाता होटल्स को रेलवे की दो महत्वपूर्ण संपत्तियां- बीएनआर होटल, रांची व पुरी लीज पर दे दी गयीं। ललन ने इसके साक्ष्य भी रेलमंत्री को सौंपे हैं। हालांिक, जद (यू) पहले प्रधानमंत्री से भी मिलकर यह शिकायत कर चुका है। प्रधानमंत्री ने शिकायतों को रेलवे के निगरानी विभाग के पास भेज दिया था।
सवाल यह उठता है कि चारा घोटाले में बुरी तरह फंसे लालू तभी बचे चल रहे थे, जब दिल्ली पहुंचकर उन्होंने कांग्रेस का दामन थामा था। कहने वाले तो कहते हैं कि उनकी मति मारी गयी थी, जो चुनाव के दौरान वे कांग्रेस के खिलाफ हो गये। उनके समर्थकों को भी उनकी चाल समझ में नहीं आयी थी। नतीजा सामने है। अब ऐसा लगता है कि लालू के खिलाफ कांग्रेस ने अपने सारे घोड़े खुले छोड़ दिये हैं। ममता का श्वेत पत्र लाना इसी कार्रवाई का अगला कदम माना जाता है। हालांकि, लालू पर कोई आंच आयी तो उसकी लपटों से कांग्रेस भी अछूती नहीं रह पायेगी, क्योंकि लालू कांग्रेस गठबंधन के ही मंत्री थे। पर, उनके खिलाफ अब फिर से जिस तरह मजबूत आरोपों का सिलसिला चल पड़ा है, उसे देखकर क्या यह कहा जा सकता है कि लालू इस बार फंस जायेंगे? राजनीति के इस माहिर खिलाड़ी की अगली चाल अब कौन सी होगी, यह देखना दिलचस्प होगा।
गुरुवार, 23 जुलाई 2009
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4 टिप्पणियां:
लालू जी कोई चाल चल लें .. हर समय एक जैसा नहीं होता !!
लालू जी फंसे न फंसे, लेख रोचक बना है।
लालू को फंसना तय है। इस बार उनकी कोई चाल कामयाब नहीं होगी। दरअसल, देश से उनकी राजनीति समाप्त हो चुकी है। इसका अहसास उन्हें भी हो चुका है।
लालू को अब राजनीति छोड़ देना चाहिए।
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