सोमवार, 1 दिसंबर 2008

हे प्रभु, इन्हें माफ करना

टिप्पणी एक- कुछ महिलाएं और बहने पाउडर-लिपिस्टिक लगाकर कैंडल मार्च निकालकर पश्चिमी सभ्यता का परिचय देती हैं। यह व्यवहार अलगाववादियों जैसा है जिनका लोकतंत्र में यकीन नहीं। इन महिलाओं को राजनेताओं के खिलाफ नारेबाजी की जगह पाकिस्तान और आईएसआई के खिलाफ नारेबाजी करनी चाहिए। ...मुख्तार अब्बास नकवी, भाजपा नेता (नेताओं के विरोध पर)। टिप्पणी दो- अगर संदीप शहीद नहीं होता तो उसके घर कुत्ता भी नहीं जाता। ...वीएस अच्युतानंद, केरल के मुख्यमंत्री ( शहीद मेजर संदीप उन्नीकृष्णन के दुखी पिता द्वारा आक्रोश जताए जाने के बाद)। टिप्पणी तीन- मुंबई जैसे बड़े शहर में छोटी-मोटी बातें तो होती रहती है। आरआर पाटिल, पूवॆ उपमुख्यमंत्री-महाराष्ट्र। (हमले को रोक पाने संबंधी सवाल पर) सवाल एक-क्या ये लोग अपना मानसिक संतुलन खो चुके हैं? सवाल दो-इन्हें सद्बबुद्धि मिले इसके लिए क्या करना होगा? सवाल तीन-भारत की जनता आखिर इतनी सहनशील क्यों है?