बुधवार, 18 फ़रवरी 2009

मदारी से बंदर को मतलब नहीं

जी हां, आम चुनाव को लेकर बिहार में जो ग्रेट इंडियन तमाशा चल रहा है, उसको देखते हुए अभी यही तय करना बाकी है कि इस खेल में मदारी कौन है और उसके इशारे पर नाचने वाला बंदर कौन? कभी मदारी बंदर की शक्ल में दिख रहा है तो कभी बंदर मदारी की शक्ल में। नजारे तो यह भी नजर आ रहे हैं कि मदारी का बंदर उसे ही घुड़की दे रहा है। बात राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन के दो मजबूत खंभों जदयू और भाजपा की हो या फिर संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन के तीन तिलंगों राजद, कांग्रेस व लोजपा की, क्रिया बिल्कुल समान हैं, न्यूटन के थर्ड गति नियम के अनुसार प्रतिक्रिया भले बराबर और विपरीत हो। पर, यह बिहारी फंडा है, ग्रेट इंडियन तमाशे में घुसा बिहारी फंडा, नतीजे के लिए सब्र करना होगा।
अभी राबड़ी सरकार के दिनों की यादें कइयों के जेहन में ताजा होंगी। शैडो मुख्यमंत्री के खिलाफ भाजपा के सुशील मोदी लगभग हर रोज विधान सभा में अपनी ऊर्जा खपाते रहते थे। इसके लिए सदन में ही उन्हें क्या-क्या न सुनना पड़ता था। जीभ खींच लेंगे, झाड़ू से मारेंगे। अब जब पति लालू ही ठेठ गंवई स्टायल में ओपन कास्ट चैनल थे, जेल से शासन चलाने का दावा पूरा कर चुके थे तो पत्नी क्या करतीं। मोदी सब कुछ बर्दाश्त करते विपक्ष की भूमिका निभाते जा रहे थे। उभार लोगों के बीच भी कुछ कम कायम नहीं था। लोगों को याद होगा, तब सुशील मोदी नरेन्द्र मोदी की तरह दिख रहे थे। जोश से लबरेज, होश से लैस, दाढ़ी युवा तुर्क नेता की याद दिलाती थी। पर, ग्रेट इंडियन तमाशे ने जब बिहार का रुख लिया तो वे छतरी के नीचे आ गये। कहा तो गया जदयू की छतरी के नीचे, पर दिखा नीतीश कुमार की छतरी के नीचे। नीतीश यानी डेवलपमेंट मैन। नीतीश यानी अपराध और अपराधियों को खत्म करने का दावा करने वाला नेता। नीतीश यानी आनंद मोहन और मुन्ना शुक्ला जैसे बाहुबलियों का समर्थन प्राप्त नेता भी। खैर, बात हो रही थी मोदी की। सरकार बनी तो मुख्यमंत्री पद के दावेदार मोदी बन गये उपमुख्यमंत्री। तू जहां जहां चलेगा, मेरा साया साथ होगा की भांति बिहार की जनता ने देखा उन्हें हर जगह. हर सभा में नीतीश के साथ, हंसते, मुसकाते, माला पहनते। जो संकट पैदा हुआ, वह यह था कि पूरी कवायद में भाजपा गोल हो गयी। मोदी जी के कंधे पर भाजपा और मोदी जी कहां, यह सवाल आम भाजपाइयों के मन में आज भी सालता है। भाजपा का चेहरा बन गया जदयू का मुखौटा यानी पूरी पहचान का ही संकट। अब राधा मोहन सिंह, जो भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष हैं, भलें चिल्ला लें, गुहार लगा लें, होना वही है जो मोदी जी चाहेंगे। और जो सूरतेहाल है, उससे तो यही लगता है कि मोदी जी वही चाहेंगे जो नीतीश बाबू चाहेंगे। भाग-दौड़ शुरू है, गणित बिठाये जा रहे हैं, पर बिहारी फंडे से बिहार में ही अपना वजूद बचाने के लिए इस पार्टी को मशक्कत करनी पड़ रही है, आगे भी बहुत पसीने बहाने पड़ेंगे। सीटों की घोषणा अभी बाकी है, आने वाला समय सबकुछ साफ कर देगा। वैसे भाजपा के लोग अब खुलकर यह कहने लगे हैं कि मोदी बिहार में भाजपा को मटियामेट कर ही दम लेंगे। यदि भाजपा ने उनका निष्कासन तय किया तो वे जदयू के एलानिया मेंबर होंगे, मजबूत खंभे होंगे।
दूसरी धूरी संप्रग, जिसके दो धड़े राजद और लोजपा राष्ट्रीय स्तर पर भले कांग्रेस की छतरी के नीचे दिख रहे हों, पर इस तमाशे का बिहार एपीसोड बिल्कुल अलग परिदृश्य प्रस्तुत करता है। दिल्ली में उन्हें छाया देने वाली कांग्रेस का यहां तो साया तक गायब है। एक आम बिहारी से प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष का नाम पूछकर देखिए, मेरा दावा है, वह नहीं बता पायेगा। सत्येन्द्र नारायण सिंह ने जो लुटिया डुबोयी, वह आज तक डूबी हुई है। नतीजा, नारंगी की तरह जावों में बंटे राजद, लोजपा और कांग्रेस दिल्ली में एक दिख रही हों, पर यहां तो अलग-अलग रस बांटती ही चल रही हैं। पिछली बार लालू ने अपने करिश्मे से ज्यादा सीटों पर उम्मीदवार खड़े किये और ज्यादा सीटें ले गये। नतीजा, राम विलास पासवान को आज भी रेल मंत्रालय छिनने का गम साल रहा है। इस बार वे कोई चूक नहीं करना चाहते। चालीस सीटों वाले इस प्रदेश में अपने लिए उन्होंने सोलह सीटों का दावा ठोक दिया है और साफ कर दिया है कि यदि इसे नहीं माना गया तो वे चालीस की चालीस सीटों पर अपने उम्मीदवार खड़ा करेंगे। कांग्रेस की तो कोई बात नहीं, पर लालू सकते में हैं। लालू को याद होगा कि विधान सभा चुनाव में रामविलास की जिद से गठबंधन नहीं बन पाने की सूरत में बिहार की गद्दी उनके हाथों से जाती रही थी। बिहार विधान सभा को आज भी वे हसरत भरी निगाहों से देखते हैं। तो ग्रेट इंडियन तमाशे के इस बिहारी फंडे में मदारी का खेल तो चालू है, पर मदारी कौन और बंदर कौन है, यह अभी तय होना है। जो दिख रहा है, उसे देखकर इतना जरूर कहा जा सकता है कि फिलहाल मदारी से बंदर को फिलहाल कोई मतलब नहीं है। ग्रेट इंडियन तमाशे यानी महासंग्राम यानी आम चुनाव पर चर्चा अभी जारी रहेगी। धन्यवाद।