साठ घंटे, 183 लोगों की मौत। बीस जांबाज शहीद। 40 अरब की चपत (एसोचैम के मुताबिक)। ...फिर भी जीत गए जंग। कैसे? क्या सिफॆ आतंकियों को मार गिराने से? क्या इतने के बावजूद हम उनके जिंदा रहने की उम्मीद कर रहे थे? इस सवाल का मतलब सिफॆ इतना है कि हम आत्ममुग्धता की हालत में न रहें। आतंकियों की इतनी बड़ी कारॆवाई हमारी कमजोरी के बिना संभव नहीं थी। टटोलें, कहां कमजोर हैं हम? वरना हालात और बुरे होंगे।
शनिवार, 29 नवंबर 2008
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