बुधवार, 3 दिसंबर 2008
इस बार भी नहीं छलकेगा सब्र का पैमाना
एक बार फिर पूरे भारत में पाक के खिलाफ माहौल बन रहा है। कई ब्लॉगर पाकिस्तान पर हमले की इच्छा और उम्मीद जता रहे हैं। भारत के हर कोने से आने वाली आवाजें भी कुछ इसी तरह की हैं। देश की हालत संसद पर हमले के बाद भी ठीक इसी तरह की थी। हर देशभक्त की इच्छा थी कि आतंक को पालने-पोसने वाले को करारा जवाब मिलना ही चाहिए। सीमा पार के आतंकी ठिकानों पर कारॆवाई होनी ही चाहिए। लेकिन उस वक्त भी हम हिम्मत नहीं दिखा पाए। आज फिर वही हालात हैं। टीवी पर दिखने वाले आक्रोश को छोड़ भी दें तो हर देशवासी की इच्छा यही होगी कि देश के दुश्मनों को करारा जवाब मिलना चाहिए। लेकिन यह इच्छा इस बार भी अधूरी ही रहेगी। अंतरराष्ट्रीय दबाव और युद्ध का अथॆशास्त्र हमें सीमा पार किसी भी कारॆवाई से रोके रखेगा। प्रधानमंत्री सब्र के इम्तहान की बात करते हैं। इसी सब्र की दुहाई संसद पर हमले के बाद भी दी गई थी। तब के प्रधानमंत्री ने भी बार-बार यही बात दोहराई थी। तब भी हमने अंततः मान लिया था कि अभी सब्र का पैमाना छलकने का वक्त नहीं आया है। इंतजार करें, इस बार भी हम यही मानेंगे। मिला-जुलाकर यही कि हमारे सब्र को हम नहीं नियंत्रित करते। कह सकते हैं, अंतरराष्ट्रीय दबाव ही इसे नियंत्रित करता है। देखिए न, जैसे ही यह आशंका हुई कि पाक या पाक अधिकृत कश्मीर के खिलाफ भारत कारॆवाई की हद तक जा सकता है, अमेरिकी विदेश मंत्री दौड़ी-दौड़ी आईं। यह कहने कि पाक हर तरह का सहयोग करने को तैयार है। हमने उससे कह दिया है। मतलब पाक तो हमारी बात मानता है। और हम आपसे भी कहते हैं कि आप भी पाक के खिलाफ कोई कारॆवाई न करें। (अमेरिकी राष्ट्रपति बुश पहले ही कह चुके हैं, इस हमले में पाक की संलिप्तता के सुबूत नहीं है।)। सभी मसले बातचीत से सुलझाएं। हम तो यह भी कहने की हालत में नहीं है कि महोदया कोंडोलिजा राइस, आतंक फैलाने वाले देश के नाम पर ही तो आपके देश ने इराक और अफगानिस्तान को तबाह कर दिया। लेकिन क्या करें, नहीं कह सकते। पानी में रहकर मगर से बैर तो नहीं हो सकता है न। जमा खातिर रखें, पाक के खिलाफ चेतावनियों की भाषा से आगे की बात नहीं होगी।
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2 टिप्पणियां:
हमारे सब्र को हम नहीं नियंत्रित करते। कह सकते हैं, अंतरराष्ट्रीय दबाव ही इसे नियंत्रित करता है।
bilkul sahi kaha aapne.
sarthak aalekh ke liye sadhuwaad.
Sabr ka paimana ab chalak chuka hai...
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