टिप्पणी एक- कुछ महिलाएं और बहने पाउडर-लिपिस्टिक लगाकर कैंडल मार्च निकालकर पश्चिमी सभ्यता का परिचय देती हैं। यह व्यवहार अलगाववादियों जैसा है जिनका लोकतंत्र में यकीन नहीं। इन महिलाओं को राजनेताओं के खिलाफ नारेबाजी की जगह पाकिस्तान और आईएसआई के खिलाफ नारेबाजी करनी चाहिए। ...मुख्तार अब्बास नकवी, भाजपा नेता (नेताओं के विरोध पर)। टिप्पणी दो- अगर संदीप शहीद नहीं होता तो उसके घर कुत्ता भी नहीं जाता। ...वीएस अच्युतानंद, केरल के मुख्यमंत्री ( शहीद मेजर संदीप उन्नीकृष्णन के दुखी पिता द्वारा आक्रोश जताए जाने के बाद)। टिप्पणी तीन- मुंबई जैसे बड़े शहर में छोटी-मोटी बातें तो होती रहती है। आरआर पाटिल, पूवॆ उपमुख्यमंत्री-महाराष्ट्र। (हमले को रोक पाने संबंधी सवाल पर) सवाल एक-क्या ये लोग अपना मानसिक संतुलन खो चुके हैं? सवाल दो-इन्हें सद्बबुद्धि मिले इसके लिए क्या करना होगा? सवाल तीन-भारत की जनता आखिर इतनी सहनशील क्यों है?
सोमवार, 1 दिसंबर 2008
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7 टिप्पणियां:
उत्तर १ संतुलन होता तो खोते !
उत्तर २ सद्बुद्धि के लिए बुद्धि होना आवश्यक है । वह है कहाँ ?
उत्तर ३ सहनशील केवल शक्तिशालियों के सामने है अन्यथा सड़क पर देखिए, हम रास्ता न मिलने पर मरने मारने को उतार हो जाते हैं, नहीं तो हौर्न बजा बजाकर एक दूसरे को बहरा तो कर ही देते हैं ।
घुघूती बासूती
To aur kya ummeed kar sakte hai inse? Kya aapko abhi bhi in se ummeed rakhni chahiye?
विचार-मंथन—एक नये युग का शंखनाद: क्षमा करना मेरे पूर्वजों, मैं हिजड़ा बन गया हूँ!
nakvi ki baat sahi,patil kee nahi.
narayan narayan
भारत की जनता इतनी सहनशील इसलिए है क्यों कि वह स्वार्थी है । स्वार्थी व्यक्ति सबको खुश रखने में लगा रहता है । हमारे सोच में देश तो अन्तिम वरीश्यता पर है ।
पुरुषोत्तम जी
वाकई सही टिप्पणी
jawab 1-haan,
jawab2-sabak seekhana hoga-gaddi se utaaren-
jawab 3-koi jawab nahin hai-
[shayad laparvaah hai sahansheel nahin]
घुघूती बासूती जी की बात से पूर्णतः सहमत.
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