शुक्रवार, 28 नवंबर 2008

यह कैसी बहस?

एक ब्लॉग पर टिप्पणियों के माध्यम से यह बहस चल रही है कि आतंकियों की गोलियों का शिकार बने एटीएस प्रमुख हेमंत करकरे शहीद कहलाने का हक रखते हैं या नहीं? पूरी बहस महज बौद्धिकता के प्रदशॆन के लिए मौत के बाद किसी के चरित्रहनन जैसा ही है?
शहीद नरकगामी नहीं होते..पर टिप्पणियों को देखकर लगता है, जैसे खुद को प्रबुद्ध साबित करने के लिए कुछ लोग, मर चुके कुछ लोगों की चीर-फाड़ में लगे हों। करकरे क्या किसी भी आदमी के अतीत के सभी पन्ने सुनहरे ही नहीं होते। कुछ पन्नों पर काली स्याही से लिखी कुछ इबारतें भी होती हैं। टिप्पणियां करनेवाले भी अपने अंदर टटोलकर देखें तो एेसा ही पाएंगे। घर बैठकर जुगाली करना बहुत आसान होता है। आतंकी हमले के बीच सिफॆ छुपने की बात सोचने वाले लोग ही किसी की मौत पर अफसोस प्रकट करने की बजाय तंज कर सकते हैं। वरना इतना तो सच है ही कि हेमंत करकरे हमले के बाद तुरंत अपने दायित्वों का निवॆहन करने निकल पड़े थे। ड्राइंगरूम में अलसाए हुए टीवी नहीं देख रहे थे। साध्वी की गिरफ्तारी जायज है या नाजायज यह अदालत के सिवा कोई और कैसे तय कर सकता है? यह गलत भी हो तो केवल साध्वी को गिरफ्तार भर कर लेने से उनका शहीद कहलाने का हक नहीं छिन जाता। वैसे तो आत्मप्रचार के लिए जानबूझकर किसी की मौत पर मजमा लगाना ही जायज नहीं माना जा सकता। कोई शहीद कहा जाएगा या नहीं यह तो बाद की बात है। अपनी संस्कृति और परंपरा तो यही कहती है कि हम किसी की मौत के बाद उसके बारे में अच्छा ही अच्छा सोचते और कहते हैं। कम से कम इस परंपरा का ख्याल तो रखा ही जाना चाहिए। वैसे भी इस पूरी बहस से नुकसान भले ही हो, किसी का भला होते तो नहीं दिखता।

4 टिप्‍पणियां:

Ashish Khandelwal ने कहा…

शहीदों की शहादत रंग लाए.. बस हिंदुस्तान में अमन और चैन बस जाए..

roushan ने कहा…

जिस तरह से कुछ भाई घूम घूमकर एक शहीद के बारे में लिख रहे थे उससे हमें कष्ट हुआ था
हम मानते हैं कि लोर्ट के नतीजे पर पहुँचने से पहले किसी का कोई स्टैंड लेना उसका अधिकार हो सकता है पर इस चक्कर में ड्यूटी करते हुए शहीद हुए बहादुर का सम्मान तो नही भूलना चाहिए
बस इसी लिए हमने शहीद नरकगामी नही होते लिखा था
हमारा उद्देश्य बहस करना नही था इस चक्कर में हमने कुछ सीमायें लाँघ दी हों तो हमें क्षमा कीजियेगा

vijay kumar sappatti ने कहा…

aapne bahut sahi kaha hai . jo insaan "hum" logon ke liye shahid hua hai , uske baaren mein buri charcha kyon, aakhir hum kab tak yun hi murkh bane bhaithe rahenge.

main apne saare shahido ko naman karta hoon. kyoki main ye maanta hoon , ki wo hai /the, to main hoon.

vijay

09849746500
B : http://poemsofvijay.blogspot.com

बेनामी ने कहा…

teen aalaa afsar ek jeep mae beth kar apne dusrey afsar ko daekhne aspataal jaa rahey they kyun
us samy aspaataal jaana kyaa jaurii thaa
sharm aatee haen