tag:blogger.com,1999:blog-6090308263257230919.post7922131890702375089..comments2023-08-25T09:09:52.310-07:00Comments on इम्तिहान: गुलामी का था अहसास न आजादी का मतलब जानापुरुषोत्तम कुमारhttp://www.blogger.com/profile/14737475432350019352noreply@blogger.comBlogger5125tag:blogger.com,1999:blog-6090308263257230919.post-85277410713292313222009-08-22T05:54:13.650-07:002009-08-22T05:54:13.650-07:00Ek eemaandaar vivechan.
वैज्ञानिक दृष्टिकोण अपनाए...Ek eemaandaar vivechan.<br /><a href="http://sb.samwaad.com/" rel="nofollow">वैज्ञानिक दृष्टिकोण अपनाएं, राष्ट्र को उन्नति पथ पर ले जाएं।</a>Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6090308263257230919.post-79644891507785760112009-08-22T04:35:33.515-07:002009-08-22T04:35:33.515-07:00आक्रोश नहीं देवेन्द्र जी, मुझे लगता है यही सच्चाई ...आक्रोश नहीं देवेन्द्र जी, मुझे लगता है यही सच्चाई है। आजादी के नाम पर इस देश में गुलामी के दिनों से भी बदतर शासन व्यवस्था है और यह कैसे पनप गयी, इस पर आगे के आलेखों में स्पष्ट करूंगा। फिलहाल ब्रजेश और चंद्र जी को त्वरित टिप्पणी देने के लिए बधाई। वर्ना आजकल ब्लाग पर टिप्पणियां देने में कंजूसी बरती जाने लगी है। जबकि, इस तरह के आलेख लगातार मिलने वाली टिप्पणियों से ही आगे बढ़ती है।Kaushal Kishore Shuklahttps://www.blogger.com/profile/12277773294643772968noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6090308263257230919.post-63358643388268331102009-08-22T04:30:08.778-07:002009-08-22T04:30:08.778-07:00आप जो कहना चाहते हैं, वह अब धीरे-धीरे स्पष्ट हो रह...आप जो कहना चाहते हैं, वह अब धीरे-धीरे स्पष्ट हो रहा है। अगली पोस्ट का इंतजार रहेगा। और जरा जल्दी रहे। आप रुक जाते हैं।Unknownhttps://www.blogger.com/profile/02571087677043930520noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6090308263257230919.post-6457361080275245472009-08-22T04:27:31.417-07:002009-08-22T04:27:31.417-07:00आपके लेख को पढ़कर मजा आता है। आप विस्तृत पटल पर लि...आपके लेख को पढ़कर मजा आता है। आप विस्तृत पटल पर लिखते हैं। इसकी खासियत यह भी होती है कि जहां आप इसे खत्म करते हैं, वहां से आगे पढ़ने की ललक बनी रहती है। एक और सुंदर आलेख के लिए धन्यवाद।ब्रजेशhttps://www.blogger.com/profile/07192392942500694010noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6090308263257230919.post-76760599505861698792009-08-22T04:25:32.073-07:002009-08-22T04:25:32.073-07:00लिखावट में आक्रोश बढ़ता जा रहा है। जरा संभलकर।लिखावट में आक्रोश बढ़ता जा रहा है। जरा संभलकर।देवेन्द्रhttps://www.blogger.com/profile/03949093546705352204noreply@blogger.com